चल देश को विकसित कर; लगा दिमाग विकास की ओर; चल देश को विकसित कर; लगा दिमाग विकास की ओर;
घोर विपदा आन पड़ी है पास हमारे मौत खड़ी है। घोर विपदा आन पड़ी है पास हमारे मौत खड़ी है।
यही वक़्त था नाज़ हमे था कभी खुद पर कभी उस पर आज मगर इस सच्चाई के रूबरू हो ही गये हैं हम । यही वक़्त था नाज़ हमे था कभी खुद पर कभी उस पर आज मगर इस सच्चाई के रूबरू ह...
अरे !प्रेमी तो बस वो थे, जो मिट गए देश की आन पे । गुलामी से सबको मुक्त कराने, कर गए अरे !प्रेमी तो बस वो थे, जो मिट गए देश की आन पे । गुलामी से सबको मुक्त कर...
अपनी कीमत तुम पहचानो तेरी धरती तेरा ये जग फिर क्यों हो ये अग्निपरीक्षा अपनी कीमत तुम पहचानो तेरी धरती तेरा ये जग फिर क्यों हो ये अग्निपरीक्षा
फिर भी घर के कोने में कचरे सामान दुर्दशा होती है उसकी घरबार में। फिर भी घर के कोने में कचरे सामान दुर्दशा होती है उसकी घरबार में।